Header Ads

समुंदर चोर है

समुद्र के किनारे जब एक लहर आयी तो एक बच्चे का चप्पल ही अपने साथ बहा ले गई| बच्चा रेत पर अंगुली से लिखता है "समुद्र चोर है"| उसी समुद्र के एक दूसरे किनारे कुछ मछुआरे बहुत सारी मछली पकड़ लेते हैं| वह उसी रेत पर लिखता है "समुद्र मेरा पालनहार है"| एक युवक समुद्र में डूब कर मर जाता है| उसकी मां रेत पर लिखती है "समुद्र हत्यारा है"| एक दूसरे किनारे एक गरीब बूढ़ा टेढ़ी कमर लिए रेत पर टहल रहा था| उसे एक बड़े सीप में एक अनमोल मोती मिल गया| वह रेत पर लिखता है "समुद्र दानी है"| अचानक एक बड़ी लहर आती है
 और सारे लिखा मिटा कर चली जाती है| लोग जो भी कहे समुद्र के बारे में लेकिन विशाल समुद्र अपनी लहरों में मस्त रहता है| अपने उफान और शांति वह अपने हिसाब से तय करता है|
     अगर विशाल समुद्र बनना है तो किसी के निर्णय पर अपना ध्यान ना दें| जो करना है अपने हिसाब से करें| जो गुजर गया उसकी चिंता में ना रहे| हार जीत, खोना पाना, सुख-दुख, इन सबके चलते मन विचलित ना करें| अगर जिंदगी सुख शांति से ही भरी होती तो आदमी जन्म लेते समय रोता नहीं| जन्म के समय रोना और मरकर रुलाना इसी के बीच के संघर्ष भरे समय को जिंदगी कहते हैं|
        *अपने रिश्तो में कभी क्रोध और घमंड को जगह न दे, यदि किसी रिश्ते में क्रोध और घमंड हैं। तो वो रिश्ता कभी भी कामयाब नहीं होता किसी भी रिश्ते को पूरा करने के लिए आपको क्रोध और घमंड को बाहर निकालना पड़ता हैं।। रिश्तो की नींव को क्रोध और घमंड कमजोर करता हैं, यदि आप अपने क्रोध और घमंड को कम नहीं कर सकते हैं, तो आपके रिश्ते भी ज्यादा समय तक कामयाब नहीं हो सकते हर रिश्ते को चलाने के लिए घर परिवार के सभी लोगो का साथ जरुरी होता हैं। क्रोध और घमंड ये दोनों शब्द ही नाकारकत्मक्ता के प्रतिक हैं।। यदि ये आपके रिश्ते में नहीं होंगे तो आपका रिश्ता और भी मजबूत होगा। और खुशियां आपके घर में प्रवेश करेगी।।*
खैरात भी वही ले सकता है जिसके पास बर्तन हो।
फिर भी खैरात देने वाले पर निर्भर करता है कि खैरात साफ बर्तन में देगा तो बर्तन *खाली और साफ* दोनों होना चाहिये।

इसी प्रकार परमात्मा भी अपनी पवित्र दात साफ और खाली बर्तन में ही देगा। आपका बर्तन है मन, तो अपने मन को खाली (इच्छाओं से) और साफ (बुराइयों से) रखें।
🍃🌾😊
असली
सुगन्ध तो आपके अन्दर है
और आपका सारा ध्यान संसार पर है।
जब अन्तर में देखने का मौका होता है,
तो आप सो जाते हैं।
सो नहीं जाते .. सोये हुए हैं।
पूरे दिन में से कुछ समय ध्यान को दें।
अपने भीतर देखने की कोशिश करें।
अपने भीतर जो भी आवाज़ सुनाई पड़े,
उसे सुनने की कोशिश करें।
भीतर के अपने ही रंग, स्वाद और सुगंध हैं।
जैसे ही आपको भीतर आनन्द आया,
आप परमात्मा के सामने होंगे।
आपकी सब इच्छाएँ समाप्त हो जायेगी।
आपको संतोष और तृप्ति का भंडार
मिल जाएगा।
हरि ओम
🙏

No comments: